Old Pension Scheme: उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में पुरानी पेंशन योजना बहाल पर बड़ी अपडेट

भारत में पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme – OPS) को लेकर पिछले कुछ वर्षों में काफी चर्चा और हलचल देखने को मिली है। सरकारी कर्मचारियों के बीच यह मुद्दा न केवल वित्तीय सुरक्षा से जुड़ा है, बल्कि यह राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हो गया है। 2004 में OPS को राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (National Pension System – NPS) से बदलने के बाद, कई कर्मचारी संगठनों और राज्य सरकारों ने इसे बहाल करने की मांग की है।

पुरानी पेंशन योजना क्या है?

पुरानी पेंशन योजना एक परिभाषित लाभ (Defined Benefit) पेंशन योजना थी, जिसके तहत सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद उनकी अंतिम आहरित वेतन (Last Pay Drawn) का 50% मासिक पेंशन के रूप में मिलता था। इसके अतिरिक्त, महंगाई भत्ता (Dearness Allowance – DA) में समय-समय पर होने वाली वृद्धि का लाभ भी पेंशनरों को मिलता था। इस योजना की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि कर्मचारियों को अपने वेतन से कोई योगदान नहीं देना पड़ता था, और पेंशन का पूरा खर्च सरकार वहन करती थी। हालांकि, यह योजना “पे-एज़-यू-गो” (Pay-As-You-Go) आधारित थी, जिसका मतलब है कि वर्तमान कर्मचारियों के करों से सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन का भुगतान किया जाता था। यह प्रणाली दीर्घकालिक रूप से वित्तीय बोझ बन गई, जिसके कारण 1 जनवरी 2004 से इसे NPS से बदल दिया गया।

Old Pension Scheme
Old Pension Scheme

NPS और OPS में अंतर

NPS एक परिभाषित अंशदान (Defined Contribution) योजना है, जिसमें कर्मचारी और सरकार दोनों मिलकर एक पेंशन फंड में योगदान करते हैं। कर्मचारी अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 10% योगदान देता है, जबकि सरकार 14% का योगदान देती है। यह राशि बाजार से जुड़े निवेशों में लगाई जाती है, और रिटायरमेंट के समय पेंशन की राशि निवेश के रिटर्न पर निर्भर करती है। NPS की अनिश्चितता और बाजार जोखिमों के कारण कई कर्मचारी इसे OPS की तुलना में कम आकर्षक मानते हैं। दूसरी ओर, OPS में पेंशन की राशि निश्चित होती है, जो कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद वित्तीय स्थिरता प्रदान करती है।

नवीनतम अपडेट्स

यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) का ऐलान

24 अगस्त 2024 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम (Unified Pension Scheme – UPS) को मंजूरी दी, जिसे NPS और OPS के बीच एक मध्य मार्ग के रूप में देखा जा रहा है। यह योजना 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी और लगभग 23 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को लाभान्वित करेगी। UPS की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • निश्चित पेंशन: कर्मचारियों को 25 वर्ष की सेवा के बाद अंतिम आहरित मूल वेतन का 50% पेंशन के रूप में मिलेगा। 10 वर्ष की न्यूनतम सेवा वाले कर्मचारियों को भी 10,000 रुपये प्रति माह की न्यूनतम पेंशन की गारंटी दी गई है।
  • योगदान आधारित: NPS की तरह UPS में भी कर्मचारी 10% और सरकार 18.5% का योगदान देगी। यह OPS से अलग है, जहां कर्मचारी को कोई योगदान नहीं देना पड़ता था।
  • महंगाई राहत: पेंशनरों को महंगाई के अनुसार समय-समय पर राहत प्रदान की जाएगी।
  • परिवार पेंशन: कर्मचारी की मृत्यु के बाद उनके परिवार को पेंशन का 60% मिलेगा।
  • लंपसम भुगतान: रिटायरमेंट के समय ग्रेच्युटी के अतिरिक्त एकमुश्त राशि भी दी जाएगी।

UPS को कर्मचारी संगठनों की मांगों और वित्तीय संतुलन को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया गया है। यह योजना OPS की तुलना में वित्त-funded है, जिससे सरकार पर अनियोजित बोझ कम होगा। हालांकि, कुछ कर्मचारी संगठन, जैसे सेंट्रल सेक्रेटेरियट सर्विस फोरम, इसे पूरी तरह से स्वीकार नहीं कर रहे हैं और OPS की पूर्ण बहाली की मांग कर रहे हैं।

राज्यों में OPS की बहाली

कई गैर-भाजपा शासित राज्यों ने OPS को बहाल करने का फैसला किया है। राजस्थान, पंजाब, झारखंड, छत्तीसगढ़, और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों ने अपने सरकारी कर्मचारियों के लिए NPS को समाप्त कर OPS को लागू किया है। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 7 जून 2025 को एक ट्वीट में कहा कि उनकी सरकार ने पहली कैबिनेट बैठक में ही OPS को बहाल किया, क्योंकि यह कर्मचारियों का अधिकार है।

कर्नाटक में भी हाल ही में OPS को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। 5 जून 2025 को ज़ी कन्नड़ न्यूज़ ने बताया कि राज्य सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए OPS से संबंधित एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है, जिसे कर्मचारियों के लिए “जैकपॉट” के रूप में देखा जा रहा है।

विशेष परिस्थितियों में OPS का विकल्प

केंद्र सरकार ने हाल ही में एक सर्कुलर जारी किया, जिसमें NPS के तहत आने वाले कर्मचारियों को कुछ विशेष परिस्थितियों में OPS का विकल्प चुनने की अनुमति दी गई है। 25 अक्टूबर 2024 को जारी इस सर्कुलर के अनुसार, यदि कोई कर्मचारी सेवा के दौरान मृत्यु हो जाती है या उसे अक्षमता/अमान्यता के आधार पर सेवा से मुक्त किया जाता है, तो वह या उसका परिवार OPS के लाभों का चयन कर सकता है। इसके लिए कर्मचारियों को फॉर्म 1 और फॉर्म 2 जमा करना होगा। यह प्रावधान केंद्रीय सिविल सेवा (NPS कार्यान्वयन) नियम, 2021 के नियम 10 के तहत लागू है।

राजस्थान में नया आदेश

राजस्थान सरकार ने 5 जून 2025 को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया, जिसमें NPS के तहत कर्मचारियों को सेवा के दौरान मृत्यु या सेवा से मुक्त होने पर OPS का लाभ लेने का विकल्प प्रदान किया गया है। यह आदेश IAS अधिकारी आलोक की मृत्यु के बाद जारी किया गया, जिसने इस मुद्दे को और प्रासंगिक बना दिया।

पक्ष और विपक्ष

OPS की बहाली को लेकर पक्ष और विपक्ष में कई तर्क हैं:

पक्ष:

  • वित्तीय सुरक्षा: OPS कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद निश्चित आय प्रदान करता है, जो विशेष रूप से बढ़ती महंगाई के दौर में महत्वपूर्ण है।
  • कर्मचारी संतुष्टि: OPS की मांग कर्मचारी संगठनों के बीच मजबूत है, और इसकी बहाली से कर्मचारियों का मनोबल बढ़ेगा।
  • सामाजिक सुरक्षा: यह योजना बुजुर्गों के लिए एक मजबूत सामाजिक सुरक्षा नेटवर्क प्रदान करती है।

विपक्ष:

  • वित्तीय बोझ: OPS एक अनफंडेड योजना है, जो सरकार के लिए दीर्घकालिक वित्तीय बोझ बन सकती है। 2022-23 के केंद्रीय बजट में OPS के लिए 2.07 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था।
  • अंतर-पीढ़ीगत असमानता: वर्तमान कर्मचारियों के करों से पुराने कर्मचारियों की पेंशन का भुगतान होता है, जो युवा पीढ़ी पर बोझ डालता है।
  • आर्थिक स्थिरता: कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि OPS की बहाली से राज्यों का वित्तीय तनाव बढ़ सकता है, जैसा कि RBI के एक लेख में उल्लेख किया गया है।

भविष्य की संभावनाएं

UPS की शुरूआत के साथ, केंद्र सरकार ने कर्मचारियों की मांगों और वित्तीय स्थिरता के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की है। हालांकि, कई कर्मचारी संगठन और गैर-भाजपा शासित राज्य OPS की पूर्ण बहाली के लिए दबाव बनाए हुए हैं। आने वाले समय में, विशेष रूप से हरियाणा, महाराष्ट्र, और अन्य राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर, OPS एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बना रहेगा।

कर्मचारियों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अपनी पेंशन योजना का चयन सावधानी से करें, क्योंकि UPS से NPS या OPS में वापसी का विकल्प एकमुश्त होगा। साथ ही, सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी नई योजना दीर्घकालिक रूप से टिकाऊ हो और भावी पीढ़ियों पर अनावश्यक बोझ न डाले।

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